रविवार, 28 जून 2009

"अद्वैतम"


अपनी कुटिया के सामने स्थित इस छोटी-सी गुफा को बाबा ने "अद्वैतम" नाम दिया था। यहाँ वे ब्रह्म-मुहूर्त में ध्यान लगाया करते थे।

शुक्रवार, 12 जून 2009

"दीक्षा कुटीर"

"अद्वैतम" गुफा के ठीक ऊपर "दीक्षा कुटीर" थी। अभी इसका पुनर्निमाण चल रहा है। इसके प्रवेश द्वार पर "आनंदम" लिखा है।
पुनर्निर्माण के बाद "दीक्षा कुटीर" का नया रुप. पहले फूस की झोपड़ी थी. 



"एक चिन्ह"


जिस प्रकार अद्वैतम गुफा के प्रवेशद्वार पर 'शंख-कमल' और दीक्षा कुटीर के प्रवेशद्वार पर 'त्रिनेत्र' बने हैं, उसी प्रकार बाबा की कुटिया की चहारदीवारी पर यह चिन्ह बना है। कभी यहाँ खुशबूदार "कटहली चंपा" के फूल खिला करते थे।

"समाधी स्थल"

बाबा की इच्छानुसार बाबा को हरिद्वार में "जलसमाधि" दी गई थी। इसलिए उनकी तो कोई समाधी नही है, मगर इस आश्रम के अन्य सन्यासियों का यह समाधी स्थल है।
इस स्थल के सामने (बाबा की कुटिया के बगल में) बच्चों का पार्क हुआ करता था।

"कैफेटेरिया"

सरकारी पैसों से बना चालू होने की बाट जोहता कैफेटेरिया। वैसे चिंता न करें- 'माणिक दादा का नाश्ता दूकान' इस पहाड़ी पर कोई तीस वर्षों से यात्रियों को रिफ्रेशमेंट प्रदान कर रहा है।



माणिक दा की चाय-नाश्ते की दूकान.  (पहाड़ी के पीछे उनका भोजनालय भी है.) 

"गौशाला"

बिन्दुधाम का गौशाला। इसके बाहर गोपाष्टमी की शाम 'गौशाला मेला' लगता है।

शनिवार, 6 जून 2009

"अमृत कलश"

पहाड़ी बाबा की जन्म-शतवार्षिकी (गुरु-पूर्णिमा' २०००) के अवसर पर स्थापित "अमृत कलश"।