रविवार, 19 जुलाई 2009

"हनुमत पद-चिन्ह"



कहते हैं कि जब हनुमानजी हिमालय से पर्वत लेकर आकाश मार्ग से लंका जा रहे थे, तब इस पर्वत चोटी की एक शिला पर उन्होंने अपना एक पैर रखा था। शिला पर पैर के आकार का गड्ढा था। लापरवाही के कारण उस पैर के आकार का निशान अब बिगड़ गया है।

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