
रामनवमी' २००७ से पहले माँ बिन्दुवासिनी का दर्शन इस रूप में होता था। पौराणिक कथा के अनुसार इस पहाड़ी पर सती के तीन बूंद रक्त गिरे थे। तब से उसी के प्रतीक-स्वरुप तीन शिलाओं का पूजन यहाँ होता आ रहा है।

वर्ष 2007 में पिण्डियों को चाँदी की प्रतिमाओं से ढक दिया गया था

वर्ष 2007 में पिण्डियों को चाँदी की प्रतिमाओं से ढक दिया गया था
बाद में ऐसी व्यवस्था की गयी कि चाँदी की प्रतिमाओं तथा पिण्डियों- दोनों के दर्शन साथ-साथ हों ।
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एक दुर्भाग्यजनक घटनाक्रम में वर्ष 2014 में चाँदी की प्रतिमायें चोरी चली गयीं
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यह दर्शन 2016 का है- पूर्ण शृंगार के साथ.
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